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Interrogations Of A Life Unreached

Tuesday, March 13, 2007

Twilight

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीँ ज़मीन तो कहीँ आसमान नहीं मिलता
तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार ना हो
जहाँ उम्मीद हो उसकी वहाँ नहीं मिलता

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीँ ज़मीन तो कहीँ आसमान नहीं मिलता

जिसे भी देखिए वोह अपने आप में गुम है
जुबां मिली है मगर हम-जुबां नहीं मिलता
बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
यह ऐसी आग है जिस में धुआं नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता

These are the words of a famous poet. I'm not sure of the name.

1 Comments:

  • कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
    कहीँ ज़मीन तो कहीँ आसमान नहीं मिलता
    तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार ना हो
    जहाँ उम्मीद हो उसकी वहाँ नहीं मिलता

    कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
    कहीँ ज़मीन तो कहीँ आसमान नहीं मिलता

    जिसे भी देखिए वोह अपने आप में गुम है
    जुबां मिली है मगर हम-जुबां नहीं मिलता
    बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले
    यह ऐसी आग है जिस में धुआं नहीं मिलता
    कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता

    By Anonymous Anonymous, at 10:00 AM  

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